देश का गौरव हैं, हमारी तीन सेनाएं, थल सेना या आर्मी, वायु सेना और नेवी। जब बात तीनों सेनाओं की होती है तो यहां महिलाओं की संख्या न के बराबर है। लेकिन वायु सेना में महिलाएं अपना लोहा मनवा रही है। इसका प्रमाण है, पिछले साल देश की तीन बेटियों ने जब अपना नाम फाइटर प्लेन पायलट की सूची में दर्ज कराया है। उनके इसी जज्बे ने अब हमारे देश का आसमान महिलाओं के लिए और भी अधिक खुलवा दिया है।
मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है। फिल्म ‘तेजस’ के पहले लुक के साथ ही लड़कियों के हौसले बुलंद होने लगे हैं। फिल्म ‘तेजस’ में कंगना रनौत भारतीय वायु सेना की पायलट के रूप में नजर आ रही हैं। यह पहली बार है कि बॉलीवुड में वायु सेना की महिला पायलट को एक्शन करते हुए दिखाया जा रहा है। जहां फिल्मों में महिलाओं की वायु सेना में मजबूत होती पकड़ को दिखाया जा रहा हैं, वहीं असल में भी वायु सेना में महिलाओं की भूमिका सक्रिय होती जा रही है।
आपको बता दें कि पिछले साल ही देश की तीन बेटियों भावना कांथ, मोहना सिंह और अवनी चतुर्वेदी ने बतौर पायलट लड़ाकू विमान उड़ाने की अपनी ट्रेनिंग को पूरा किया है। एक प्रयास के रूप में वर्ष 2016 में रक्षा मंत्रालय ने भारतीय वायु सेना की फ्लाइंग ब्रांच में बतौर फाइटर पायलट महिलाओं की नियुक्ति आरंभ की थी। जिसके साथ ही वर्ष 2019 में बतौर फाइटर प्लेन उड़ाने के लिए भावना, मोहना और अवनी ने इस ट्रेनिंग को पूरा कर अपना नाम भारतीय वायु सेना के इतिहास में दर्ज करवा लिया है। इसके बाद से किसी भी आपातकालीन स्थिति में ये तीनों मिग-21 जैसे लड़ाकू विमानों को दिन में उड़ा सकती हैं।
इसके अलावा अगर बात की जाए कि वायु सेना में महिलाओं की बतौर पायलट पहली नियुक्ति कब और कैसे हुई तो उसका भी कोई लंबा-चैड़ा इतिहास नहीं है। भारतीय वायु सेना में वर्ष 1994 में सबसे पहले महिला पायलटों के बैच की शुरुआत की थी। उस समय गैर-लड़ाकू विमानों के लिए महिलाओं की नियुक्ति की गई थीं। दो दशक पहले का दौर और था, तब महिलाओं के लिए वायु सेना में शामिल होना मुश्किल था। जो महिलाएं वायु सेना में ट्रेनिंग के लिए आती भी थीं, उन्हें पुरुष सहकर्मी कुछ समझते ही नहीं थे। यहां तक कि बतौर नेविगेटर भी पुरुष पायलट उन्हें अपने साथ नहीं रखना चाहते। कई महिला पायलटों ने उस समय काफी संघर्ष किया और आज महिलाओं के लिए वायु सेना में नए आयाम भी खोल दिये।
जून, 1990 में सरकार ने ऑफिसर कैडर में नॉन-टेक्नीकल और ग्राउंड ड्यूटी के लिए महिलाओं की नियुक्ति के लिए भर्तियां खोलीं, साथ ही क्वॉलिफाइड महिला पायलटों से भी वायुसेना की फ्लाइंग ब्रांच के भी दरवाजे खोल दिए थे, जिसमें कम संख्या में ही सही, लेकिन महिला पायलटों ने आवेदन किया। अपने इस प्रयास को मिले प्रोत्साहन के बाद भारत सरकार ने प्रयोग के तौर पर 6 से 10 वर्ष के लिए ही फ्लाइंग और टेक्नीकल ब्रांच दोनों में ही महिलाओं की भर्ती शुरु कर दी।
अगर आप में भी देश की सेवा करने जज्बा है तो आप भी वायु सेना में बतौर पायलट नियुक्ति पा सकती हैं।
कैसे करें आवेदन:
आज अगर आप बतौर महिला पायलट वायु सेना में भर्ती होना चाहती हैं तो उसके लिए वायु सेना की ओर से परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं। इसमें 19 साल से 23 साल तक की महिला आवेदक भाग ले सकती हैं।
योग्यता मानदंड
न्यूनत्तम शैक्षिक योग्यता:
10 /2 में भौतिकी और गणित विषयों के साथ ग्रेजुएशन। पायलट एप्टीट्यूड बैटरी टेस्ट को उत्तीर्ण किया हुआ होना चाहिए। या सीनियर डीविजन एयर विंग ‘सी’ सर्टिफिकेट या बीई (4 साल)
आयु सीमा: 19 से 23 वर्ष तक, कमर्शियल पायलट लाइसेंस धारकों के लिए 25 वर्ष, अविवाहित, ड्यूटी के दौरान मृत्यु को प्राप्त अधिकारियों की विधवा (जिनके बच्चा न हो) भी आवेदन कर सकती हैं।
शारीरिक योग्यता: फ्लाइंग ब्रांच के लिए चिकित्सीय रूप से तंदरुस्त। 162.5 से.मी. न्यूनत्तम लंबाई। टांग की लंबाई 99 से लेकर 129 से.मी.। आंखों पर चश्मा या रंगों/रात की दृष्टिहीनता न हो। पायलट एप्टीट्यूड बैटरी टेस्ट को उत्तीर्ण किया हुआ होना चाहिए। सीनियर डीविजन एयर विंग ‘सी’ सर्टिफिकेट धारक आवेदककर्ता संबंधित एयर स्क्वाड्रन के जरिये आवेदन कर सकते हैं।
प्रवेश प्रक्रिया:
सिर्फ शॉर्ट-लिस्ट आवेदकों को ही एसएसबी टेस्ट के लिए बुलाया जाता है। अधिकारी बनने की आपकी क्षमता की जांच, मनोविज्ञान टेस्ट, समूह टेस्ट और साक्षात्कार,वायु सेना चयन बोर्ड, देहरादून, मैसूर और वाराणसी के जरिये किया जाता है, जिसमें 5 से 6 दिन का समय लगता है। चिकित्सा परीक्षण बेंग्लुरू में आयोजित किया जाता है। चयनित अभियर्थियों को 72 सप्ताह के प्रशिक्षण के लिए भेजा जाता है।
वायु सेना में पायलट की परीक्षाओं का समय:
महिला पायलटों के लिए आयोजित परीक्षाओं का समय अधिकत्तर जनवरी और जुलाई माह में रखा जाता है।
वायु सेना में महिला पायलटों की परीक्षा का आवेदन पत्र:
आवेदक वायु सेना द्वारा जारी विज्ञापन में बताए आवेदन पत्र के प्रारूप के अनुसार ही फॉर्म भरें। सीनियर डिविजन एयर विंग ‘सी’ सर्टिफिकेट धारक संबंधित एयर स्क्वाड्रन के जरिये या दिल्ली मुख्यालय में अपना आवेदन पत्र भेज कर सही समय पर आवेदन कर सकती हैं।
एक नजर यहां भी :
- देश की पहली महिला पायलट सरला ठकराल थीं, जिन्होंने 21 वर्ष की आयु में वर्ष 1936 में पायलट लाइसेंस हासिल किया।
- देश की नेवी में पहली महिला पायलट सब लेफ्टिनेंट शिवांगी बनी, जिन्होंने पिछले साल दिसंबर में अपनी प्रशिक्षण पूरा किया।
- भारतीय वायु सेना में 1994 में महिला पायलटों के पहले बैच की शुरुआत की गई।
- भारतीय वायु सेना में 1 जुलाई 2019 तक कुल 1,905 महिला अधिकारी नियुक्त थीं, जिनमें से 8 लड़ाकू विमान पायलट और 17 नेविगेटर रही हैं।
- रक्षा मंत्रालय की वर्ष 2016 की योजना: फ्लाइंग ब्रांच में महिलाओं की एसएससी अधिकारियों के रूप में भर्ती, के तहत अभी तक सिर्फ 8 महिला पायलट की ही नियुक्ति की गई है।