दिन – प्रतिदिन दुनिया छोटी होती जा रही है और नॉलेज और नए-नए प्रयोगों के मामले में यह बहुत विस्तृत होती जा रही है। आजकल देखा जाए तो पूरी दुनिया ही शिक्षा के क्षेत्र के चारों ओर घूमती हुई नजर आती है। इसीलिए बच्चों को भी शिक्षा कुछ ऐसे ढंग से दी जानी चाहिए जिससे बच्चे का पूर्ण विकास हो सके। उसको पढ़ने में इंटरेस्ट तो आए साथ ही लॉजिकल और एनालिटिकल सोच का भी विकास हो सके। आजकल रटकर पढ़ाई करने या सीखने का जमाना नहीं है। आज के समय में टीचर्स को बच्चे को ज्यादा से ज्यादा देर तक पढ़ाने में और ज्यादा एक्टिव बनाए रखने के लिए कुछ ऐसे तरीके अपनाने चाहिए जिससे बच्चे का ध्यान पूरे तरीके से पढ़ाई में ही रहे। इसके साथ ही बच्चा पढ़ाई जा रहे टॉपिक या पाठ को अच्छी तरीके से सीख जाए।
एक्सपेरिमेंटल एजुकेशन क्यों है जरूरी
बच्चे को अच्छी एजुकेशन देने का सबसे अच्छा तरीका है कि उसको एक कमरे की चारदीवारी से बाहर निकाल कर वास्तविक चीजों से प्रयोग करके सिखाया जाए। इससे बच्चे में क्रिटिकल थिंकिंग और खुद ही निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है। इसके अतिरिक्त वह किसी भी काम करने की योग्यता भी प्राप्त कर लेता है। यह सब होता है – एक्सपेरिमेंटल लर्निंग से। एक्सपेरिमेंट लर्निंग यानी प्रयोग करके सीखना बच्चों को सिखाने में पढ़ाने का बहुत सरल तरीका है। ये एक्सपेरिमेंट थियोरेटिकल और प्रैक्टिकल लर्निंग के बीच का एक पुल है जो दोनों को जोड़ता है।
एक्सपेरिमेंटल एजुकेशन से बच्चे में बहुत सी क्वालिटीज डिवेलप हो जाती हैं। प्रयोग करके सीखने से वह ऊपरी तौर पर ही ज्ञान की बातें नहीं सीखता बल्कि गहराई से उसको समझने की कोशिश करता है। एक्सपेरिमेंटल एजुकेशन से बच्चा क्या-क्या सीखता है और कौन सी खूबियों का विकास उसमें होता है, आइए जानें।
किसी भी चीज को जल्दी सीखने और याद रखने की क्षमता का विकास-आज के समय में याद करके सीखने के बजाय, उसको प्रैक्टिकल करके सीखना ज्यादा जरूरी हो गया है। प्रतियोगिता के इस बढ़ते दौर में केवल पढ़कर और उसे याद रखकर ही सीखना पर्याप्त नहीं है। ऐसे में एक्सपेरिमेंटल लर्निंग यानी करके सीखने से वह बात हमेशा के लिए याद रह जाती है और सोचने – समझने और नई- नई तकनीक का इस्तेमाल करने की क्षमता का विकास भी करती है। किसी भी प्रश्न का उत्तर ढूंढने और सही निर्णय पर पहुंचने की शिक्षा भी एक्सपेरिमेंटल लर्निंग ही दे सकती है। इसमें समय भी कम लगता है और बात याद भी जल्दी हो जाती है बल्कि पूरी तरह से समझ में आ जाती है। इसके अलावा एक्सपेरिमेंटल एजुकेशन के और बहुत से फायदे हैं। बच्चों को शिक्षित करने के मामले में प्रयोग करके सीखना एक बेहतर तरीका है।तो आइए जाने कौन से हैं वे फायदे जो बच्चे को एक्सपेरिमेंटल एजुकेशन से हो सकते हैं।
1. बच्चों को व्यस्त रखती है और बच्चे इसमें खुशी से भाग लेते हैं
एक्सपेरिमेंट करके सीखने से बच्चे काम में मन ज्यादा लगता है। वे आसानी से समझ जाते हैं और पढ़ाए गए टॉपिक को अच्छी तरह से समझ लेते हैं। एक्सपीरियंस करते हुए बच्चे एक दूसरे के संपर्क में आते हैं, जिससे वे एक दूसरे से भी सीखते हैं। इसके अलावा किसी प्रॉब्लम को सॉल्व करने की क्षमता का विकास भी उनमें होता है और किसी एक्टिविटी में भाग लेने और उसके प्रति भरपूर जिम्मेदारी निभाने के दायित्व का भी विकास उनमें होता है।
2. बच्चे पर गहरा और अच्छा असर पड़ता है
करके सीखने यानी एक्सपेरिमेंट करके सीखने से बच्चे पर गहरा और अच्छा असर पड़ता है। जिस विषय को बच्चा सीख रहा है, वह उसके मन में बैठ जाती है। चॉक और बोर्ड का मैथड उनके लिए बोरिंग हो जाता है जबकि एक्सपेरिमेंट से सीखना उनके लिए इंट्रस्टिंग होता है। एक्सपेरिमेंटल एजुकेशन के जरिए बच्चा सही तथ्य को समझता है और गहराई से जानकारी प्राप्त करता है। इसके अलावा प्रयोग करके सीखने से बच्चे में सोचने – समझने की क्षमता का विकास भी होता है।
3. जीवन में चुनौतियों को स्वीकार करने के लिए तैयार होता है
प्रयोग करके सीखने से बच्चा अपने जीवन में आगे आने वाली चुनौतियों को स्वीकार कर, उनका सामना करना भी सीखता है। एक्सपेरिमेंटल एजुकेशन के माध्यम से बच्चे की कार्यकुशलता बढ़ती है। किसी प्रॉब्लम का कैसे सामना करना चाहिए और उस प्रॉब्लम को कैसे हल करना चाहिए, इस तकनीक को बच्चा एक्सपेरिमेंट करके अच्छी तरह से सीख सकता है।
4. सीखने में आसानी होती है
प्रयोग करके सीखने से बच्चा किसी भी टॉपिक या समझाए जा रहे विषय को आसानी से सीख जाता है। करके सीखने में बच्चा ज्यादा रुचि लेता है और मन लगाकर सीखता है, जिससे उसे सीखने में आसानी होती है।
5. मिलजुल कर काम करने की आदत का विकास होता है
जब एक बच्चा क्लास की चारदीवारी से बाहर निकलकर प्रयोग करता है, कोई एक्सपेरिमेंट करता है तो इस दौरान वह अपने शिक्षक और क्लासमेट्स के साथ मिलजुल कर काम करने की आदत भी सीखता है। कई बार बच्चों में इस आदत का विकास होना बहुत मुश्किल हो जाता है। आपने देखा होगा कि कई बच्चे दूसरे बच्चों के साथ मिलकर नहीं रह पाते हैं। किसी भी तरह की शेयरिंग उनको नहीं आती है। ऐसे में टीचर्स एक्सपेरिमेंटल एजुकेशन के माध्यम से बच्चे में मिलजुल कर रहने की आदत का विकास भी कर सकते हैं।
6. परस्पर सहयोग की भावना का विकास होता है
क्लास में किताबों से पढ़कर सीखने से बेहतर एक्सपेरिमेंट करके सीखना अच्छा माना गया है। क्योंकि यह बच्चों को परस्पर सहयोग करने की भावना का विकास करता है। इससे बच्चा बखूबी एक दूसरे के साथ सहयोग करना सीख जाता है। जीवन में आगे बढ़ने के लिए इस आदत का विकास होना जरूरी हो जाता है। व्यवसायिक क्षेत्र में हर समय किसी का सहयोग लेने और सहयोग करने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में बच्चे को प्रारंभ से ही ऐसी शिक्षा दी जाए जिससे उसमें परस्पर सहयोग करने की भावना का विकास हो जाए तो यह उसके भविष्य के लिए काफी अच्छा होता है।
7. कम्युनिकेशन स्किल्स का विकास होता है
जब बच्चा अपने क्लासमेट्स और टीचर के साथ कोई एक्सपेरिमेंट करने क्लास से बाहर निकलता है तो इससे बच्चे के कम्युनिकेशन स्किल्स का विकास भी होता है। वह अपने क्लासमेट्स और टीचर से बातचीत करता है जिससे उसके कम्युनिकेशन स्किल्स डेवलप हो जाते हैं। अन्य लोगों से बच्चा अपनी बात को समझाने की कोशिश करता है और उनकी बात को जब समझने की कोशिश करता है तो उसके कम्युनिकेशन स्किल्स को डिवेलप करने के लिए इससे बेहतर कुछ हो ही नहीं सकता।
आप भी अपने बच्चे को करके सिखाने की आदत डालिए। बच्चे के टीचर से भी इस बारे में डिस्कस कीजिए। उसके स्कूल में भी इस बात को स्कूल एडमिनिस्ट्रेशन से शेयर कीजिए कि वह ज्यादा से ज्यादा एक्सपेरिमेंट करके छोटे-छोटे उदाहरण देकर बच्चों को शिक्षित करें। माता-पिता और स्कूल के टीचर्स दोनों का यह दायित्व बनता है कि बच्चे को बेहतर शिक्षा दें।