होमस्कूलिंग जैसा कि नाम से ही जाहिर है, यह एक ऐसा विचार है जिसके चलते माता-पिता अपने बच्चों को घर पर रहते हुए ही स्कूल की पढ़ाई कराते हैं। पश्चिमी देशों में इस तरह से काफी लंबे अरसे से बच्चों को न सिर्फ पढ़ाया जा रहा है, बल्कि अब तो कई नामी-गिरामी कॉलेज और विश्वविद्यालय भी होमस्कूलिंग के तहत पढ़ने वाले छात्रों को अपने कॉलेज में विभिन्न पाठ्य क्रमों में प्रवेश दे रहे हैं। आइए जानते हैं कि कैसे आप भी अपने बच्चे को होमस्कूलिंग के बारे में कैसे अपने विचारों को आकार दे सकते हैं।
अभी तक हमारे देश में होमस्कूलिंग करने वाले छात्रों के बारे में कोई तय आंकड़े सामने नहीं आए हैं, लेकिन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (NOIS) और कैम्ब्रिज के आईजीसीएसई (IGCSE) या सीआईई (CIE) दो ऐसे बोर्ड हैं, जिनके माध्यम से छात्र अपनी स्कूली शिक्षा को घर पर रहते हुए भी आसानी से पूरा कर रहे हैं। घर पर रहते हुए भी बच्चों को अच्छी शिक्षा दी जा सकती है, यह इसी बात से साबित होता है कि हाल के सालों में देश के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों आईआईटी (IIT) और एमआईटी (MIT) में भी होमस्कूलर्स को प्रवेश मिल चुका है।
होमस्कूलिंग का विचार ज्यादातर शहरों में, खासकर बेंगलुरू, पुणे, चेन्नई आदि जगहों पर देखने को मिल रहा है। माता-पिता इसकी और तेजी से आकर्षित क्यों हो रहे हैं, इसकी एक सबसे बड़ी वजह यह है कि मौजूदा दौर में स्कूल के बढ़ते बोझ को और बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए माता-पिता अपने बच्चों को होमस्कूलिंग के तहत अपनी निगरानी में ही पढ़ाना चाहते हैं।
इसके अलावा माता-पिता का यह भी मानना है कि होमस्कूलिंग के चलते वे अपने बच्चों को और बेहतर सिखा पाते हैं, खासतौर पर ऐसे विषय जिसमें बच्चों की दिलचस्पी अधिक होती है। साथ में बच्चे उन सभी कौशलों को भी सिखने के लिए समय निकाल पाते हैं, जिनके लिए स्कूल में रहते उनके पास समय नहीं होता था। आइए होमस्कूलिंग के फायदों और नुकसान पर एक नजर दौड़ाते हैं।
होमस्कूलिंग के फायदे – Benefits of Homeschooling
- आप अपने बच्चे को अपने हिसाब से या बच्चे के समय के अनुसार उसे पढ़ा सकते हैं।
- आप अपनी पसंद से बच्चे के लिए शिक्षा बोर्ड चुन सकते हैं।
- आप बच्चे को जीवन संबंधी कौशल, जैसे खाना बनाना, बागवानी, कारपन्टरी, मैकेनिक आदि कौशल आसानी से घर पर रहते हुए सिखा सकते हैं, जो स्कूलों में नहीं सिखाए जाते।
- बच्चों पर माता-पिता पूरी तरह से निगरानी बनाए रख सकते हैं।
- खास या फिर दिव्यांग बच्चों को आप घर पर ही बेहतर शिक्षा मुहैया करा सकते हैं, जिसके चलते बच्चे दूसरों के चिढ़ाने या धमकियों से बचे रह सकते हैं।
- बच्चों को समाज के नकारात्मक पहलू से दूर रखा जा सकता है।
- बच्चों को ऐसे विषयों में जहां वे अधिक मजबूत नहीं हैं, उन पर अधिक जोर दिया जा सकता है।
- बच्चे को खास ध्यान देते हुए आप उसे अपना पूरा समय दे सकते हैं, जबकि स्कूल में ऐसा होना मुनासिब ही नहीं है, जहां एक साथ 30-40 बच्चे पढ़ रहे हों।
- स्कूल में अस्वस्थ प्रतिस्पर्धाओं के तनावभरे माहौल से आप अपने बच्चे को दूर रख सकते हैं।
- बच्चों के लिए शिक्षा को मनोरंजक और दिलचस्प भी बनाया जा सकता है।
- होमस्कूलिंग के जरिये माता-पिता अपने बच्चों की छुपी हुई प्रतिभाओं को भी जान पाते हैं।
- आप बच्चे को उसकी समझने और सीखने की क्षमता के अनुसार पढ़ा सकते हैं।
- होमस्कूलिंग के माध्यम से बच्चे अच्छे शोधकर्ता भी बन जाते हैं, क्योंकि इस दौरान वे अपने सवालों का खुद से जवाब ढूंढ़ना भी सीख लेते हैं। यही वजह है कि ये बच्चे अधिक आत्म-निर्भर और मेहनती भी होते हैं।
- होमस्कूलिंग के माध्यम से पढ़ने वाले बच्चों का लिखना-पढ़ना दूसरे बच्चों से बेहतर होता है, क्योंकि इसमें उनके माता-पिता की पूरी नजर अपने बच्चों पर रहती है और वे इस बारे में काफी मेहनत भी करते हैं।
- होमस्कूलिंग करने वाले बच्चे अगर शिक्षा के माध्यम से अपना रोजगार प्राप्त नहीं कर पाते, तब भी वे जीवन कौशल और अन्य छोटे-मोटे कौशल इतना सीख चुके होते हैं कि वे खुद का कारोबार या स्वःरोजगार कमा पाने के काबिल होते हैं।
होमस्कूलिंग के नुकसान – Disadvantages of Homeschooling
- होमस्कूलिंग के चलते माता-पिता में से किसी एक को हमेशा बच्चे के साथ घर पर पढ़ाने के लिए मौजूद रहना पड़ता है। आप दोनों कामकाजी नहीं रह सकते।
- होमस्कूलिंग के दौरान कई बार बच्चों का समाज से आदान-प्रदान लगभग खत्म ही हो जाता है। इसीलिए माता-पिता को हमेशा अपने बच्चों को सामाजिक कौशल सिखाने के लिए दूसरों से मिलते-जुलते रहना पड़ता है।
- कई बार होमस्कूलिंग के दौरान बच्चे एक व्यवस्थित दिनचर्या का पालन नहीं कर पाते और उनका समय काफी नष्ट होता है।
- दूसरों से न मिलने पाने के अभाव में बच्चे अवसाद का शिकार भी हो सकते हैं।
- बच्चों को पढ़ाने की पूरी जिम्मेदारी माता-पिता पर होती है, इसीलिए माता-पिता को अपना समय नहीं मिल पाता।
- ऐसे माता-पिता जिनमें धैर्य या संयम की कमी होती है, वे ठीक तरीके से अपने बच्चे को नहीं पढ़ा पाते।
- होमस्कूलिंग के दौरान अगर माता-पिता के पास बच्चे को पढ़ाने के लिए पूरा पाठ्य क्रम मौजूद न हो तो उन्हें बच्चे की शिक्षा को लेकर काफी चिंता होती है।
होमस्कूलिंग से जुड़े हुए कुछ प्रमुख समूह
वैसे तो होमस्कूलिंग से जुड़े हुए कई ऑनलाइन समूह हैं, जहां माता-पिता या बच्चे के अभिभावक एक-दूसरे से अपनी होमस्कूलिंग के दौरान सामने आने वाली परेशानियों का जिक्र कर लेते हैं। इसके अलावा भी कुछ ऐसे समूह भी हैं, जहां आपको होमस्कूलिंग करा रहे कई माता-पिता और प्रोफेशनल्स भी मिल जाएंगे।
- ऑल्टरनेटिव एजुकेशन इंडिया
- पुणे होमस्कूलर्स
- स्वशिक्षा-इंडिया ऐसोसिएशन ऑफ होमस्कूलर्स
- कास्केड फैमिली लर्निंग सोसायटी-चेन्नई में होमस्कूलिंग कर रहे बच्चों के लिए एक संस्था
- मॉन्टेसरी वर्ल्डवाइल्ड स्कूल
- होमस्कूलर्स नूक
होमस्कूलिंग के अपने फायदे और नुकसान दोनों ही हैं। आप अपने बच्चे पर पूरा ध्यान दे पाते हैं और बच्चा सिर्फ पाठ्य क्रम ही नहीं, बल्कि जीवन से जुड़े अन्य कौशल भी सीख सकता है, वह भी आपकी निगरानी में। अभी जहां हमारे देश में होमस्कूलिंग को अपनाने वाले लगभग 15000 परिवार ही हैं, हो सकता है कि अगले दशक तक यह आंकड़ा काफी बढ़ जाए। खासतौर पर तब जब सरकार और अन्य शैक्षिक संस्थान इस प्रकार की शिक्षा-दीक्षा को भी मान्यता दे दें।