प्रीति अपने सात साल के बेटे ऋषभ की पढ़ाई को लेकर काफी एक्टिव रहती है। वह उसकी पढ़ाई के मामले में कोई भी कोताही बरतना नहीं चाहती। प्रीति अपने बेटे की हर विषय की पढ़ाई को सरल तरीके से समझाना व पढ़ाना जानती है। उसने कुछ समय तक एक स्कूल में नर्सरी से सेकंड क्लास तक के बच्चों को पढ़ाया भी था। उस समय बच्चों को पढ़ाते समय उसने गौर किया कि बच्चों को सीधे तरीके से बात को समझने में मुश्किल होती है। वहीं इन छोटे बच्चों को अगर खेल-खेल में समझाया व पढ़ाया जाए तो ये जल्दी समझ जाते हैं और वह विषय उनको सरल लगने लगता है। इससे बच्चे की पढ़ाई की नींव भी मजबूत हो जाती है क्योंकि यही वह टाइम है जबकि उसका मेंटल एप्टिट्यूड डिवेलप होता है। साथ ही मैथमेटिक्स जैसे सब्जेक्ट को प्रीति खेल – खेल के माध्यम से ऋषभ को पढ़ाती है। इस दौरान वह देखती है कि ऋषभ बहुत आसानी से कैलकुलेशन को समझने लगा है और मैथ्स उसके लिए उसका फेवरेट सब्जेक्ट बनता जा रहा है।
बात जहां मैथमेटिक्स सब्जेक्ट की आती है तो इस बात से आप बखूबी परिचित हैं कि यह सब्जेक्ट थोड़ा मुश्किल जरूर होता है लेकिन जो बच्चा समझ जाता है, उसके लिए प्रोफेशनल लाइफ और सोशल लाइफ दोनों ही आसान हो जाती हैं। मैथ्स के पढ़ने से बच्चे का दिमाग तेज हो जाता है जिससे वह अपने व्यवसायिक क्षेत्र और सामाजिक क्षेत्र दोनों में ही बेहतर करने की काबिलियत रखता है। जहां प्रोफेशनल फील्ड में मैथमेटिक्स जरूरत पड़ने पर काम आता है, वैसे ही हिसाब – किताब रखने के लिए रोजमर्रा के जीवन में भी मैथ्स का महत्व कुछ कम नहीं है। ऐसे में आप भी अपने बच्चे को इतनी कम उम्र में गंभीरता से पढ़ाने के बजाय, उसको खेल-खेल में छोटी-छोटी घरेलू चीजों की सहायता से मैथ्स को समझाइए। मैथ कैलकुलेशन को उसके लिए आसान बनाइए। एक छोटे बच्चे को यानी कि प्राइमरी लेवल के बच्चे को किस तरीके से मैथ्स को मजेदार ढंग से पढ़ाया जा सकता है व समझाया जा सकता है, इस बारे में जानें कुछ जरूरी बातें।
1. बच्चे की उम्र के अनुसार छोटी-छोटी एक्सरसाइज कराएं
बच्चे को उसकी आयु के अनुसार ही मैथ्स की छोटी-छोटी एक्सरसाइज की प्रैक्टिस कराई जाए। पहले बच्चा इन छोटी-छोटी एक्सरसाइज को जब आसानी से करने लग जाए, तब उसे थोड़ा कठिन सवाल कराने के प्रैक्टिस कराएं। वैसे भी बच्चे को सरल से कठिन की ओर ले जाना चाहिए। अगर आप बच्चे को पहले से ही कठिन सवाल कराने की कोशिश करेंगे तो वह समझ नहीं पाएगा और इससे ऊबकर बचने की कोशिश करेगा।
2. मैथ्स कैलकुलेशन का कोई खेल खिलाएं
मैथ से रिलेटेड कोई कैलकुलेशन करने का गेम बच्चे को जरूर खिलाएं। सांप सीढ़ी यानी स्नेक्स एंड लैडर्स और लूडो जैसे फेमस गेम भी बच्चे को मैथमेटिक्स सीखने में मदद करते हैं। इनसे बच्चा नंबरों की पहचान करने लग जाता है और गिनती करना भी अच्छी तरह से सीख जाता है। स्नेक्स एंड लैडर्स में सौ तक गिनतियां दी गई होती हैं, जो बच्चे को सीखने के लिए काफी होती हैं। इसी तरह के कई गेम्स बच्चे को खिलाएं जा सकते हैं। आप इस तरह के गेम्स इंटरनेट की मदद से खुद भी बना सकते हैं या मार्केट से भी आजकल काफी गेम्स लिए जा सकते हैं, जो बच्चे को मैथ्स सिखाने में सहायक होते हैं।
3. मैथ्स पर आधारित क्राफ्ट वर्क कराएं
मैथ्स पर आधारित क्राफ्ट वर्क कराना भी बच्चों को मैथ सिखाने में काफी मददगार साबित होता है। इसके लिए बच्चे से अलग अलग तरह की शेप्स बनवाएं। इन शेप्स पर आधारित एक्टिविटीज कराएं। इसके अंतर्गत आप ओरिगामी और ज्योमैट्रिकल कोलाज आदि बनवाने की एक्टिविटीज बच्चों से करा सकते हैं।
4. रोजाना होने वाली एक्टिविटीज से मैथ्स सिखाएं
एक बच्चे को मैथ कैलकुलेशन समझाने का सबसे अच्छा और रोचक तरीका है कि उसे रोजाना होने वाली एक्टिविटीज में शामिल किया जाए। इसके लिए आप बच्चे को कहें कि वह चार आलू लेकर आए या फिर से पांच हरी मिर्ची फ्रिज से निकाले। किसी प्रेस वाले आदि को पैसे गिन कर देने को कहें। इस तरह के घर में रोजाना के अनेक काम होते हैं जिनको छोटे बच्चे से कराइए। इनकी मदद से बच्चा मैथ्स को जल्दी ही सीखने और समझने लग जाता है।
5. मैथ्स कैलकुलेशन वाला कोई बोर्ड गेम खिलाएं
मैथ्स कैलकुलेशन वाले काफी बोर्ड गेम्स आजकल मार्केट में मौजूद हैं, जिनकी मदद लेकर आप बच्चों को मैथ कैलकुलेशन में कुशल कर सकते हैं। वैसे भी बच्चे को थ्योरी समझाने के बजाय अगर प्रैक्टिकल चीजें कराई जाएं, तो वह बहुत जल्दी समझता है।
6. फ्लैशकार्ड पर नंबर लिखकर सिखाएं
कुछ फ्लैशकार्ड खुद बनाएं या फिर बाजार से लेकर आएं। इन फ्लैशकार्ड की मदद से बच्चे को नंबरों की पहचान कराएं। इन नंबरों को – जोड़ना, गुणा करना आदि फ्लैशकार्ड की मदद से आसानी से सिखाया जा सकता है। उदाहरण के लिए आप दो नंबर का फ्लैशकार्ड और तीन नंबर का फ्लैशकार्ड लीजिए। फिर बच्चे से पूछिए कि अगर इन दोनों नंबरों को जोड़ देते हैं तो कौन से फ्लैशकार्ड पर लिखा नंबर इसका उत्तर होगा। इस तरह से बच्चे के लिए गणित पढ़ना आसान और रोचक भी हो जाता है।
7. उसको शॉपिंग करने साथ ले जाएं
संभव हो तो बच्चे को शॉपिंग कराने के लिए ले जाएं। शॉपिंग कराने के दौरान बच्चे से छोटी-छोटी कैलकुलेशन करने में मदद लें। कोई सामान खरीदकर बच्चे से कहें कि इन दोनों सामानों के कितने पैसे हमें दुकानदार को देने होंगे। इसके अलावा आप पूछ सकते हैं कि अगर दुकानदार से हमने ₹25 का सामान लिया तो पचास रुपए का नोट देने पर कितने पैसे वह हमें वापस देगा। इस तरह की कैलकुलेशन और सवालों के जरिए बच्चा मैथ्स में काफी होनहार हो जाता है। कई बार आपने गौर किया होगा कि सामान बेचने वाले बच्चे हिसाब – किताब करने में काफी तेज होते हैं।
8. घर के किसी अन्य मेंबर या उसके बड़े भाई बहन जिस समय पढ़ाई कर रहे हो उनके साथ पढ़ने के लिए बिठाएं
बच्चा घर के अन्य सदस्यों जैसी दादा-दादी या भाई-बहन आदि से काफी सीख लेता है। बच्चे को दादा – दादी के साथ बैठना और अपने भाई – बहन के साथ खेलना अच्छा लगता है। ऐसे में इन्हीं लोगों से कहें कि वह बच्चे को पढ़ने के लिए प्रेरित करें। छोटी-छोटी मैथ्स कैलकुलेशन उसको सिखाएं। खेल – खेल में ही बच्चे को जोड़ना – घटाना आदि सिखाएं। खेल- खेल में बच्चा जल्दी ही समझ जाता है। आप देखेंगे कि बच्चा अपने भाई-बहन आदि के साथ पढ़ने में काफी रुचि भी लेता है। एक – दूसरे को देख कर बच्चा काफी कुछ सीख जाता है।
आप भी इन छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखकर अपने बच्चे को मैथ्स में अच्छा बना सकते हैं।