मौजूदा समय में बच्चे अभी बाहर जा नहीं सकते। ऐसे में उनका ज्यादातर वक्त टीवी, कंप्यूटर या मोबाइल फोन पर ही बीत रहा है। आप भी सोच रहे होंगे, ऐसा क्या किया जाए कि वे उनका ध्यान इन चीजों से हट जाए। आइए एक नजर डालते हैं कुछ ऐसी ही एक्टिविटीज पर, जिनसे आपके बच्चों का ध्यान स्क्रीन की तरफ जाएगा कम।
मेरी बेटी लाॅकडाउन के बाद से लगातार कार्टून चैनल या मोबाइल फोन में अपनी आंखें गढ़ाए बैठी हुई थी। भले उसका स्कूल सुचारू रूप से नहीं चल रहा, बल्कि सभी क्लासेज ऑनलाइन ही हो रही हैं लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि वह मनोरंजन के नाम पर सिर्फ और सिर्फ स्क्रीन पर ही लगातार नजरें जमाए रखे। मैंने कुछ गतिविधियों को प्रयोग के रूप में अपनाया और देखा कि वह इनमें काफी दिलचस्पी ले रही थी, यहां तक कि जब मैंने उसे कुछ देर इन्हें छोड़कर टीवी पर फिल्म देखने को कहा तो उसने इससे भी मना कर दिया। मुझे तो इसमें सफलता मिल गई, उम्मीद है कि आपको इन एक्टिविटीज से काफी फायदा मिलेगा।
7 गतिविधियां जो बच्चों को रखेंगी टेलीविजन, मोबाइल फोन से दूर
1. फैमिली एक्टिविटी (Family activity)
अगर आप चाहते हैं कि आपके बच्चे टीवी या मोबाइल फोन को कम से कम देखें तो जरूरी है कि आप एक फैमिली एक्टिविटी जरूर करें। फैमिली एक्टिविटी का मतलब है, जहां आप सभी मिलकर कुछ बनाएं। अब क्या बनाना है, यह आप खुद अपनी जरूरत और दिलचस्पी के हिसाब से सोच सकते हैं। हां, मैंने अपने घर पर खाली गत्ते के डिब्बों से अपनी बेटी के लिए एक सुंदर सा कबर्ड बनाया था। मेरी बेटी को क्राफ्ट का बहुत शौक है, जिस वजह से हम अक्सर खाली समय में उसे कुछ न कुछ बनाना सिखाते और सीखते रहते हैं।
2. नया लुक (New look)
बच्चे हैं तो घर में गंद भी होगा। अब अगर आप सीधे-सीधे बच्चों को सफाई करने को कहेंगे तो वे कुछ मिनट या ज्यादा से ज्यादा एक घंटा इस काम को कर सकते हैं। लेकिन अगर आप चाहते हैं कि वे इसे अपनी आदत बना लें तो इसमें कुछ रोमांच लाएं। मैं अपनी बेटी को हमेशा उसका कमरा, उसकी अलमारी या उसका क्राफ्ट बॉक्स को नया लुक देने को कहती हूं। यहां नए लुक का मतलब सफाई से ही है, लेकिन बच्चों को सफाई से ज्यादा चीजों को अलग-अलग तरह से रखना बहुत पसंद आता है। इसीलिए मैं उसे अलग तरह से सेटिंग या नए लुक के बारे में ही कहती हूं। अगर आप चाहें तो आप भी इसे आजमा लें। मेरी बेटी तो दिन के कई घंटे इसी काम में लगा देती है और कुछ समय के लिए टीवी से उसकी दूरी भी बनी रहती है।
3. नए खेल बनाना (Games in new avtaar)
हम सभी के घर में शतरंज से लेकर लुडो तक सब कुछ है, लेकिन क्या आपने कभी इसमें कुछ नया करने की सोची है? नहीं न तो अब करें। हम हमारे घर में अक्सर अलग-अलग तरह के बोर्ड गेम्स बनाने का प्रयास करते हैं, जिनके लिए हम पुराने बोर्ड या गत्तों का इस्तेमाल करते हैं। अभी हाल पहले हमने मिलकर एक नया खेल बनाया था, मेरी बेटी ने ईजाद किया था। इस खेल में हमने लुडो और सांप-सीढ़ी को मिला दिया था। बोर्ड के बीच में हमने एक घर बनाया और उसके चारों तरफ सांप-सीढ़ी की तरह अंकों को लिख दिया। फर्क इतना था, कि सांप-सीढ़ी का खेल-खेलते हुए आपको इसमें अपनी चारों गोटियों को इस घर तक पहुंचाना था, जबकि कभी सांप तो कभी सीढ़ी की वजह से आप इस घर तक पहुंचने में असफल हो सकते हैं।
4. पुराने खेलों में भी है मजा (Classic games)
आप बच्चे को अकेले कुछ भी करने को नहीं कर सकते। खास तौर पर तब जब बात खेल की हो। अगर आप चाहते हैं कि बच्चा टीवी या मोबाइल फोन से हट जाए तो आपको भी उसके साथ कैरम बोर्ड, शतरंज, बेडमिंटन, क्रिकेट जैसे खेल खेलने चाहिए। अगर आप नहीं खेल सकते, तो कोशिश करें की घर के सभी बच्चे एक साथ खेलें।
5. कुकिंग (Cooking)
बच्चों को स्वादिष्ट खाने के साथ-साथ उसे बनाना भी पसंद आता है। आप इन दिनों में अपने बच्चे को कुकिंग के कुछ गुर भी सीखा सकते हैं। बच्चे की उम्र को ध्यान में रखते हुए आप उससे रसोई में कटिंग, फ्राइंग जैसी गतिविधियों में भाग लेने दें। अगर आपका बच्चा अभी काफी छोटा है तो आप उसे प्लेटिंग या सजावट करने का काम कह सकते हैं। वैसे मेरी बेटी इन दिनों ‘नो फायर कुकिंग’ के गुर सीख रही है। वैसे इस समय में बच्चे शेक्स और आईस क्रीम को बनाना और फिर उन्हें एन्जॉय करना भी बहुत पसंद करते हैं।
6. बागवानी (Gardening)
आप भी चाहेंगे कि आपके बच्चे प्रकृति के साथ ताल-मेल बिठा सकें तो क्यों न छोटी उम्र से ही इसकी शुरुआत की जाए। वैसे भी अभी बच्चों के पास इन सभी कामों के लिए काफी वक्त है। आप मौसम को ध्यान में रखते हुए अपने बच्चों के हाथों से कुछ पौधे गमलों में लगवाएं और उन्हें बताएं कि इन्हें कब और कितना पानी देना है। वैसे आप बच्चों पर पौधों में पानी देने की जिम्मेवारी डाल सकते हैं। विश्वास कीजिएगा यह काम करते हुए उन्हें बहुत खुशी होगी।
7. पत्रिकाएं पढ़ना (Magazine reading)
मेरी बेटी स्कूल की किताबों को तो हाथ लगाना नहीं चाहती। तो ऐसे में, मैंने उसे मासिक बाल पत्रिकाएं मंगवा दीं। इसमें कई मनोरंजक गतिविधियां तो हैं ही, साथ में रोचक कहानियां भी हैं। मेरा मकसद यहां उसके भाषा के ज्ञान को बढ़ाना है, फिर चाहे वह स्कूल की किताब से सीखे या पत्रिका से। आप मानेंगे नहीं, पहले तो उसे लगा कि यह उसके लिए कोई काम है, लेकिन मेरे थोड़ा जोर डालने पर जब उसने पन्ने पलटने शुरु किए तो काफी समय तक वह इसी में व्यस्त रही।
दिन के कुछ घंटे ही सही, लेकिन इन गतिविधियों के साथ कम से कम मेरी बेटी ने उतना समय मोबाइल फोन या टीवी देखते हुए तो नहीं बिताया। मेरा मकसद सिर्फ टीवी या मोबाइल से उसे दूर रखना नहीं, बल्कि उसकी रचनात्मकता और कल्पनाशीलता को बढ़ाए रखना भी है, जिसमें मुझे थोड़ी जीत तो हासिल हो गई। उम्मीद है आप भी निराश नहीं होंगे।
अधिक स्क्रीन टाइम का बच्चों पर बुरा प्रभाव:
कई अध्ययनों से पता चला है कि जो बच्चे मोबाइल फोन या टीवी के सामने अधिक समय के लिए बैठते हैं, उसका उनकी सेहत पर काफी विपरीत प्रभाव पड़ता हैः
- ऐसे बच्चों के व्यवहार में आक्रामकता बढ़ जाती है, जो बच्चे हिंसक वीडियोज या कार्टून अधिक देखते हैं। वे उसका अनुसरण अपने घर में अपने भाई-बहनों के साथ भी करते हैं।
- ऊर्जा की कमी होती है।
- शारीरिक तौर पर सक्रियता की कमी होती है।
- इनका शरीर थुलथुला अधिक होता है।
- स्कूल की गतिविधियों में भाग लेने से बचते हैं।
- इन बच्चों पर विज्ञापनों का अधिक असर होता है। वे सभी चीजों को खरीदना या इस्तेमाल करना चाहते हैं।